“जग के त्रास मिटाने जग में आए जो ऋषिराजI
दिव्य दृष्टि से असहायों के पूरण करते काजII
ब्रह्मऋषि योगेश्वर स्वामी सच्चिदानंद महाराजI
ऐसे ऋषिवर शक्तिपुत्र जी का जन्मदिवस है आजII”“जिस जन्म से इस जन्म में, आत्मा को मिला नया जन्म हैI
जिस जन्म के आधार पर, हम सबका जन्म अवलम्ब हैII
ऋषियों में ऋषिवर हैं ऐसे, जैसे वृक्षों में कदम्ब हैI
वह ऋषि रूप में स्वयं परमसत्ता आदिशक्ति जगदम्ब हैंII”“सच्चिदानंद अवतारी जो हैं मानव तन धारीI
जगतजननी के पुजारी, महिमा है जिनकी भारीII
अर्जी पाते ही शिष्यों की, जो करते नहीं विलम्ब हैंI
वह ऋषि रूप में स्वयं परमसत्ता आदिशक्ति जगदम्ब हैंII”“फैला था जो असुरत्व धरती पर, उसका क्षरण हो गयाI
धर्मप्रेमी जनमानस द्वारा, धार्मिकता का वरण हो गयाII
कैसे लिखें, कैसे कहें 9 दिसम्बर की महिमा को, अपने शब्दों मेंI
जिस दिन स्वयं सच्चिदानंद भगवान का, अवतरण हो गयाII”“झुक कर जिन चरणों में, है जनमानस संसार तराI
जन्मदिवस पर उन चरणों में, कोटि-कोटि प्रणाम मेराII
शक्ति की जिन किरणों से है कलयुग का साम्राज्य डराI
शक्तिपुत्र जी के चरणों में, कोटि-कोटि प्रणाम मेराII”“जिनके जन्म की भविष्यवाणी, कई वर्ष पहले ही हो गईI
~नेहा योगभारती (नेहा साहू)
ऐसे गुरुवर के जन्म से मानो सतयुग की सुबह ही हो गईII
अनादि काल तक अमर रहेगा, 9 दिसंबर 1960 का वो पावन दिनI
जब गुरु रूप में स्वयं ‘माँ’ धरती पर अवतरित हो गईII”