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Thursday, March 6, 2025
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holi 2024: जानें इस साल कब है होली और होलिका दहन का कब है मुहूर्त। 

होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया  जाता  है । होली के त्योहार को लेकर छोटों से लेकर बड़ों तक में खासा उत्साह रहता है। holi 2024 को लेकर भी सबके अंदर खासा उत्साह है। इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं इस साल की होली (holi 2024) की सम्पूर्ण जानकारी। 

होली किस तिथि को मनाई जाएगी:

हिन्दुओं के प्रत्येक त्योहार हिन्दी पंचांग की तिथि के अनुसार मनाए जाते हैं। ऐसे में सबसे बड़ा कन्फ़्युशन रहता है त्योहारों की तिथियों को लेकर। होली के त्योहार को लेकर भी दो बातें रहती हैं कि होली  (holi 2024) किस दिन जलायी जाएगी और किस दिन खेली जाएगी। (holi 2024) होली का त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। और हिन्दू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा 24 मार्च को सुबह 9 बजकर 54 मिनट से प्रारंभ हो रही है। और 25 मार्च को दोपहर 12 बजकर 29 मिनट पर समाप्त हो रही है। इसलिए जलाने वाली होली जिसे होलीका दहन भी कहते हैं, 24 मार्च को होगी और खेलने वाली होली 25 मार्च को मनाई जाएगी। 

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त :

हिन्दू पंचांग के अनुसार (holi 2024) होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 24 मार्च को रात 11:13 बजे से रात 12:07 बजे तक का है। शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन सूर्यास्त के पश्चात किया जाता है। जिसमें सबसे पहले होलिका की पूजा की जाती है उसके बाद उसे जलाया जाता है। 

भारत में होलिका दहन कब होगा :

  • होलिका दहन या छोटी होली – 24 मार्च 2024 को
  • रंगों वाली होली या धुलंडी   – 25 मार्च 2024 को। 
  • होलिका दहन – रात्रि 11:33 से रात्रि 12:33 के मध्य 
  • सर्वार्थ सिद्धि योग- सुबह 07:34 बजे से अगले दिन सुबह 06:19 बजे तक 
  • भद्रा – प्रातः 09:55 बजे से प्रारंभ होकर मध्य रात्रि 11:13 बजे तक
  • होलिका दहन का शुभ मुहूर्त केवल 01 घंटा 20 मिनट के लिए

होलाष्टक कब से शुरू हो रहे हैं:

होलाष्टक 8 दिनों का होता है और यह होलिका दहन वाली तिथि के 8 दिन पूर्व से प्रारंभ हो जाते हैं। कहा जाता है होलाष्टक के 8 दिनों में शुभ और मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए क्योंकि इस दौरान ग्रहों की दशा उग्र होती है। पंचांग के अनुसार इस वर्ष होलाष्टक 17 मार्च से प्रारंभ होकर 17 मार्च को समाप्त होंगे। 

holi 2024: ऐसे जलाएं होली, होलिका दहन की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त:

होली के पवित्र त्योहार का सभी लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। इस त्योहार की धूम केवल भारत देश में ही नहीं बल्कि अन्य कई देशों में भी रहती है। पूरे भारत देश में होली का यह त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं कि होलिका दहन किस प्रकार और कैसे करें- 

होलिका दहन (holi 2024) की पूजा विधि:

होलिका दहन के लिए सर्वप्रथम फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी जिसे रंगभरी एकादशी कहते हैं, इस दिन से किसी निश्चित स्थान पर लकड़ियाँ एकत्रित करना शुरू कर दिया जाता है। इसी दिन से लोग घरों में गुलेरियाँ बनाते हैं। 

आवश्यक समान- होलिका दहन की पूजा के लिए गोबर की गुलेरियाँ, कलावा, फूलमाला, तिलक, और गुझियाँ की जरूरत पड़ती है। 

पूजा विधि- सर्वप्रथम होलिका दहन वाली जगह पर जल अर्पित किया जाता है और तिलक लगाया जाता है। फिर पूजा की सारी चीजें अर्पित करके कलावा बांधकर 7 बार परिक्रमा लगाई जाती है। फिर शुभ मुहूर्त में होलिका दहन किया जाता है। 

होलिका दहन (holi 2024) का शुभ मुहूर्त:

इस वर्ष होली का त्योहार दो दिन मनाया जाएगा। 24 मार्च दिन रविवार को होलिका दहन किया जाएगा। और 25 मार्च दिन सोमवार को रंगों  वाली होली जिसे धुलंडी कहते हैं, मनाई जाएगी। holi 2024 होलिका दहन का मुहूर्त-  24 मार्च को रात्रि 11:13  से रात्रि 12:33 के मध्य holi 2024 पूर्णिमा तिथि – 24 मार्च 2024 दोपहर 12:24 बजे से 25 मार्च दोपहर 02:59 बजे तक 

होलिका दहन के दिन  रहेगा भद्रा का योग :

इस बार (holi 2024) होलिका दहन 24 मार्च को और रंगो का उत्सव 25 मार्च को मनाया जाएगा। होलिका दहन के दिन रात 10:28 बजे तक भद्रा का साया रहेगा क्योंकि भद्रा में होलिका दहन नहीं करना चाहिए। इसलिए होलिका दहन का मुहूर्त 24 मार्च को रात्रि 10:28 बजे के बाद रहेगा। 

होलिका की कथा

होली मनाने के पीछे एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि राजा  हिरण्यकश्यप की एक बहन थी जिसका नाम होलिका था। हिरण्यकश्यप का एक पुत्र जिसका नाम प्रह्लाद था, भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। 

प्रह्लाद की विष्णु भक्ति हिरण्यकश्यप को पसंद नहीं थी। उसने प्रह्लाद को विष्णु भक्ति न करने को कहा किन्तु प्रह्लाद नहीं माना। अंत में प्रह्लाद को मारने के कई प्रयास हिरण्यकश्यप ने किए किन्तु प्रह्लाद हर बार बच जाता था। 

होलिका को भगवान से आग में न जलने का वरदान प्राप्त था। हिरण्यकश्यप की आज्ञा से वह प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठ गई। लेकिन भगवान की कृपा से होलिका जल गयी और भक्त प्रह्लाद की रक्षा हुई। 

होली के त्योहार को बुराई पर अच्छाई की विजय के पर्व के रूप में मानते हैं। होली के त्योहार को वसंत ऋतु के आगमन के पर्व के रूप में भी मनाते हैं। 

disclaimer : इस लेख में दी गई (holi 2024) की सूचना/ जानकारी की सटीकता की गारंटी नहीं हैं। यह जानकारी विभिन माध्यमों से संग्रहीत करके आप लोगों तक पहुचाई जा रही है। हमारा उद्देश्य केवल सूचना पहुंचाना हैं। इसके किसी भी प्रकार के उपयोग की जिम्मेदारी उपयोगकर्ता की स्वयं ही रहेगी। 

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